'मुझे अपनी जाति की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी'

एक पढ़ी-लिखी और अच्छी नौकरी करने वाली दलित लड़की के लिए भी ज़िंदगी आसान नहीं होती. पूजा को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जानिए उनकी ही जुबानी.

मुझे स्कूल में पता चला कि मैं 'नीची जाति' की हूं.

शायद सातवीं या आठवीं क्लास में पढ़ती थी. कोई फ़ॉर्म भरा जा रहा था, उसमें अपनी जाति लिखनी थी. बाकी बच्चों की तरह मैंने भी लिखी. सबकी नज़र उस पर गई और अचानक सब कुछ बदल गया.

मुझे ये बता दिया गया कि मैं 'नीची जाति' की हूं और हरेक पल ये जताया भी जाने लगा.

स्कूल में सबका बर्ताव मेरे साथ बदल गया. जो दोस्त दिनभर मेरे साथ खेलते-खाते थे वो मुझसे कटे-कटे रहने लगे. टीचरों की नज़रें भी अजीब सी लगने लगीं.

'मेरे साथ ये क्यों हो रहा है?'

मैंने घर आकर पापा से पूछा कि मेरे साथ ये सब क्यों हो रहा है तो उन्होंने बताया कि हम दलित हैं और हमारे साथ हमेशा से ऐसा होता आया है.उस वक़्त ज़्यादा कुछ समझ नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे सब आईने की तरह साफ हो गया.

ऐसे आप बहुत अच्छे हैं, कोई कमी नहीं है आपमें. कास्ट पता चलते ही आप बुरे हो जाते हैं. आप कामचोर हो जाते हैं, आपकी सारी 'मेरिट' ख़त्म हो जाती है और आप आरक्षण का फ़ायदा लेकर हर जगह घुसपैठ करने वाले बन जाते हैं.मैंने आज तक आरक्षण का कोई फ़ायदा नहीं लिया. न नौकरी के लिए और न पढ़ाई के लिए. मैंने एमबीए किया और लखनऊ के रेनेंसा होटल में असिस्टेंट मैनेजर हूं.




'मैंने कभी आरक्षण नहीं लिया'

मैंने आरक्षण नहीं लिया क्योंकि मुझे इसकी ज़रूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन दलितों के एक बड़े तबके को वाक़ई इसकी ज़रूरत है. उन्हें आरक्षण लेना भी चाहिए. ये उनका हक़ है.लोग आजकल आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत करते हैं. मुझे इससे कोई दिक्क़त नहीं है. आइडिया अच्छा है.लाइए आर्थिक आधार पर आरक्षण, लेकिन क्या आप गारंटी दे पाएंगे कि इसके बाद हमारे साथ जाति की वजह से भेदभाव नहीं होगा? हमारा उत्पीड़न बंद हो जाएगा?

मैं तो फिर भी बहुत अच्छी हालत में हूं. आप गांवों में जाकर देखिए.

ऊंची जाति के लोगों के कुएं से पानी लेने पर बवाल होता है, कई स्कूलों में बच्चों को अलग लाइन में बैठाया जाता है. खाना शेयर करना तो दूर, दूसरे बच्चे उनके साथ बैठकर खाना नहीं खा सकते.


'जाति पता चली और नौकरी छोड़नी पड़ी'

मैंने अच्छी पढ़ाई की और जॉब भी कर रही हूं, लेकिन जाति का ये भूत मेरा पीछा ही नहीं छोड़ता.मैं जब दिल्ली में जॉब करती थी तो वहां कुछ दोस्तों से बातचीत में मेरी कास्ट का पता चल गया. अब क्या मुझे बताने की ज़रूरत है कि इसके बाद क्या हुआ होगा? हुआ ये कि मैं इतनी अलग-थलग पड़ गई कि मैंने वो नौकरी छोड़ने का फ़ैसला किया. जो पहले दोस्त थे, वे तरह-तरह की टिप्पणी करने लगे. लोगों ने बातचीत बंद कर दी. अगर में जॉब नहीं  छोड़ती तो डिप्रेशन में आ जाती. इसके बाद मैंने तय किया कि चाहे जो हो जाए अपनी जाति का पता नहीं चलने दूंगी. मैं मजबूर थी.अभी जहां काम करती हूं वहां भी अब तक अपनी कास्ट नहीं बताई है. मुझे पता है कि मेरी जाति पता चलेगी तो मेरा सर्वाइव करना मुश्किल हो जाएगा.

'हां, मैं दलित हूं'

लेकिन अब मैं खुलकर दुनिया के सामने आना चाहती हूं. हां, मैं दलित हूं. मैंने कोई ग़लत काम नहीं किया. हमसे ग़ुनाहगारों सा बर्ताव करना बंद करिए.मैंने उत्तर प्रदेश में तीन सरकारें बनती देखीं, लेकिन हालात बदलते नहीं देखा. मायावती ख़ुद को 'दलित की बेटी' कहती ज़रूर हैं, लेकिन उनके कामों में मुझे ऐसा कुछ तो नहीं लगा कि वो दलितों की भलाई करना चाहती हैं.

'हिंदू धर्म नहीं छोड़ूंगी'

ये सच है कि हिंदू धर्म में सबसे ज़्यादा जातिवाद है, लेकिन मेरे मन में कभी धर्म बदलने का ख़्याल नहीं आया और न ही कभी मैंने भगवान पर भरोसा करना छोड़ा.मुझे लगता है कि ये शुतुरमुर्ग जैसा होगा जो ख़तरा भांपने पर पत्थर में अपना सिर छिपा लेता है और सोचता है ख़तरा टल गया. शायद ये हालात से भागने जैसा होगा. मैं आसान रास्ते से भागने के बजाय डटकर इन हालात का सामना करना चाहती हूं.अगर मुझे दूसरी जाति के किसी लड़के से प्यार हुआ तो मैं उससे शादी भी करना चाहूंगी. मेरे भाई ने राजपूत लड़की से शादी की है. हां, ये बात और है कि भाभी के परिवार वाले अब भी इस रिश्ते को कबूल नहीं पाए हैं.

दलित और औरत होना...

होटल में मेरे अंडर में एक टीम काम करती है. औरत होने के साथ-साथ दलित होना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. लोग आपको नीचा दिखाने की क़ोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ते.वो ग़लतियां निकालने के मौक़े ढूंढते है, क्योंकि ग़लती मिलते ही कहेंगे, देखा ये लोग मेहनत तो करते ही नहीं! लोगों को लगता है दलित माने रिज़र्वेशन. वो सोचते हैं कि हमें बस आरक्षण लेना आता है और कुछ नहीं.

Comments

Popular posts from this blog

गर्भपात गर्भ गिराने के रामबाण घरेलू उपाय

10 दिन में नपुंसकता और बाँझपन जड़ से खत्म

जानिए हर महीने कितने करोड़ रुपए कमाते है मशहूर कवि कुमार विश्वास