मज़दूरी करने आया बना डॉक्टर, शादी कर के पत्नी को भी दिलाई डिग्री, और मिलकर खोली अबॉर्शन की दुकान
हरियाणा के झज्जर शहर में एक इंसान ने गजब ही कर दिया है। 30 साल से वो बिना किसी डिग्री के ही दवा देकर लोगों का इलाज कर रहा था। फिर शादी करने के बाद उसने अपनी पत्नी को भी इसमें लगा दिया और उसे भी बिना डिग्री वाली डॉक्टर बना दिया। पर अब दोनों पति पत्नी का सच सब के सामने आ चुका है। बुधवार को जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस दंपती पर शिकंजा कसा। शिव कॉलोनी में आरोपी के क्लीनिक कम घर पर नकली ग्राहक भेजकर एमटीपी किट का जब 8 हजार रुपए में सौदा किया गया तो पुलिस ने दंपती को पकड़ लिया। आरोपी रामसेवक घर के बाहर से एक एमटीपी किट लेकर आया था। उसके यहां से प्रतिबंधित दवाएं भी मिली हैं।
एक महिला को गर्भवती बनाकर भेजा और फिर आरोपी को पकड़ा:-
सूचना मिलते ही सीएमओ डॉ. आरएस पूनिया ने जिले में प्रभारी डॉ. राकेश कुमार के साथ मिलकर एक टीम बनाई। शहर में स्थित शिव कॉलोनी में रामसेवक के द्वारा एमटीपी किट बेची जा रही थी। और इसी के साथ मरीजों को गलत जानकारी भी दी जा रही थी। इसके बाद ड्रग कंट्रोलर ने बनाई हुई टीम से एक औरत को नकली गर्भवती बनाकर उस रामसेवक के पास भेज दिया। रामसेवक इन सबसे अंजान था। उसने महिला को किट थमा दी और उससे रकम हड़प ली। और फिर महिला ने इशारा किया इशारा मिलते ही उनकी टीम वहां पहुँच गई और उस फ़र्ज़ी डॉक्टर को रंगे हाथों पकड़ लिया।
आया था मज़दूरी करने, और बन गया डॉक्टर:-
30 साल पहले रामसेवक हरियाणा में आया था। रामसेवक बिहार का रहने वाला है। और 30 साल पहले काम की तलाश में वो बिहार से झज्जर में आया था। पहले उसने मज़दूरी कर के पेट पाला फिर उसने शहर के निजी अस्पताल में सहायक के रूप में उसने काम किया। वहां उसे थोडी बहुत जानकारी हुई और उसने फिर खुद को डॉक्टर समझ लिया। और खुद का क्लीनिक खोल लिया। अब झज्जर के देशवाल काम्प्लेक्स जैसे कॉमर्शियल इलाके के पास शिव काॅलोनी में उसका खुद का 200 गज का मकान है।
फर्ज़ी डॉक्टर के कुछ कारनामे:-
रामसेवक के घर छापा मारने गई जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस बात की हैरानी हुई कि सामान्य मार्केट में 60 रुपए तक तक की एमटीपी किट की कीमत के बदले यह दंपती लोगों से 7 से 8 हजार रुपए में वसूलता था। स्वास्थ्य विभाग को शक है कि वो लिंग जांच करने वाले गिरोह से सम्बंध रखता है। वो अपने यहां आनेवाली गर्भवती महिला मरीज को भरोसा देता था कि एमटीपी की गोलियां खाने से भी गर्भ नहीं गिरता तो आॅपरेशन भी हो जाएगा। उस फ़र्ज़ी डॉक्टर के घर से मिली कई प्रतिबंधित दवाएं। वो मरीज़ों को ऐसी दवा दिया करता था जो केवल डिग्री व डिप्लोमाधारी डाक्टॅर ही मरीजों को दे सकते हैं।
डॉक्टर के घर पर नहीं था क्लीनिक का कोई भी बोर्ड;-
रामसेवक व उसकी पत्नी शुभदेवी के पास किसी प्रकार की मेडिकल प्रैक्टिस की कोई डिग्री व डिप्लोमा नहीं था। वे इतने सालों से क्षेत्र में डाॅक्टर दंपती के रूप में पहचान बनाए हुए थे। उनके घर के बाहर से उनके क्लीनिक का कोई भी बोर्ड वगैरह प्राप्त नहीं हुआ।
Comments
Post a Comment