जिस ऑक्सफोर्ड ग्रेजुएट को 40साल सड़कों पर करना पड़ा गुजारा, पलभर में इंटरनेट ने बदल दी उसकी लाइफ






अक्सर इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के बारे में काफी बाते सुनने को मिलती हैं, कैसे सोशल मीडिया लोगो के सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रहा है. पर जैसा कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही सोशल मीडिया के प्रयोग और जनजीवन पर पड़ने उसके प्रभाव के भी दो पहलू हैं एक तरफ जहां ये लोगों को सामाजिक जीवन से दूर कर रहा है तो वहीं इसके उपयोग से कई बार वे बातें भी प्रकाश में आती हैं, जिन पर लोगों का अमूमन ध्यान नहीं जाता. इसके माध्यम से अक्सर वे कड़िया भी जुड़ जाती है जो कब की टूट चुकी थी, सीधे तौर पर कहें तो ये सिर्फ दूरियां ही नहीं लाता बल्कि सामाजिक रूप से लोगों को जोड़ने का भी काम करता है. इंटरेनट का ऐसा ही बेहतर उपयोग देखने को हाल ही मिला है जब सोशल मीडिया की ताकत के जरिए दिल्‍ली की सड़कों पर जिंदगी गुजार रहे एक 76 साल के वृद्ध को छत मिली जो कि पिछले 40 सालों से सड़को पर गुजारा कर रहा था.



अब आप सोच सकते हैं ऐसे तो हमारे देश में सड़को पर गुजारा करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं तो फिर आखिर इस व्यक्ति के साथ में ऐसा क्या है जो कि खबर बन सके तो . तो आपको बता दे कि इस शख्स की कहानी असल में किस्मत के उठा-पठक की है, दरअसल राजा सिंह के नाम के इस आदमी ने कभी ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की थी पर किस्मत ने ऐसा बाजी पलटी कि बजाए कि इस ऑक्सफ़ोर्ड ग्रेजुएट को 40 वर्षों तक सड़क पर जिंदगी गुजारनी पड़ी. इतने दिनों तक ये गुमनामी और बेबसी की जिंदगी जीता रहा पर जब एक दिन किसी शख्स ने संजीदगी से इन पर गौर किया और उनसे उनका परिचय पूछा तो फिर इनकी आप बीती पता चली, जो कि कुछ इस तरह है..



दरअसल दिल्‍ली के रहने वाले अविनाश सिंह ने अपने फेसबुक वाल पर राजा सिंह नाम के इस शख्‍स की कहानी पोस्‍ट की थी.. इस पोस्‍ट के मुताबिक राजा सिंह नाम के बुजुर्ग नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर कई सालों से खानाबदोश जीवन जी रहे थे. असल में इनके साथ हुआ ये था कि वे अपने भाई के कहने पर 1960 में भारत आए और फिर तभी दोनों भाईयों ने मिलकर मुंबई में मोटर के पुर्जों का बिजनेस शुरू किया, पर कुछ समय बाद भाई की मौत हो गई, जिससे इनका बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया.. वहीं  इनके दोनों बेटों ने भी घर से निकाल दिया.



पर स्वाभिमानी राजा सिंह को भीख मांगना मंजूर नहीं था इसलिए उन्‍होंने दिल्ली स्थित वीजा ऑफिस के बाहर फॉर्म भरने में लोगों की मदद करनी शुरू कर दी और इसके माध्यम से उन्‍होंने अपने लिए रोटी का जुगाड़ कर लिया. राजा सिंह बताते हैं कि, ‘मैं लोगों के फॉर्म भरने में उनकी मदद करता हूं, जिसके बदले में मुझे शून्य से 100 रुपये तक मिल जाते हैं’ .

वहीं जब राजा सिंह के पास कोई काम नहीं होता तब वो लंगर में खाना खाकर गुजारा कर लते हैं. राजा सिंह की इस मार्मिक कहानी को बयां करने वाले पोस्‍ट को 21 अप्रैल को फेसबुक पर डाला गया था, जिसके साथ लोगों से इनकी मदद करने की गुहार भी लगाई गई थी. ऐसे में देखते ही देखते इस पोस्‍ट को हजारों लोगों ने शेयर किया और फिर ये वायरल हो गया, जिसके कारण राजा सिंह की मदद के लिए कई सारे लोग आगे आए हैं . वैसे अब राजा सिंह एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं.. पर वहीं अब लोग राजा सिंह को एक ऑक्सफ़ोर्ड ग्रेजुएट के रूप में जानने लगें हैं और उनकी जीवटता को सलाम कर रहे हैं.

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