एशियाई खेलों में गोल्ड जीत कर इतिहास रचने वाली बेटी के पिता है रिक्शा चालक, और माँ करती है चाय के बागान में काम
स्वप्ना बर्मन उत्तरी बंगाल के जलपाईगुड़ी शहर से हैं। इन्होंने 18वें एशियाई खेलों की हेप्टाथलन प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सोने का पदक जीतकर न केवल अपने शहर का नाम रोशन किया अपितु पूरे देश का सर फख्र से ऊंचा कर दिया।
वह इस प्रतियोगिता में सोना जितने वाली पहली भारतीय महिला बन गयी हैं। स्वप्ना के इस सफलता को हासिल करने के बाद से उनके शहर में जश्न का माहौल बना हुआ है।
21 वर्षीय स्वप्ना बर्मन का नाम देश के कुछ ही लोगों को पता होगा, लेकिन सोना जीतने के बाद हर तरफ़ उनके नाम की ही चर्चा हो रही है। एशियाई खेलों में इस एथलीट ने वो कर दिखाया है, जो आजतक किसी दूसरी महिला एथलीट ने नहीं किया था। इस कामयाबी के बाद स्वप्ना बड़े एथलीटों में शामिल हो गयी हैं। स्वप्ना की कामयाबी पर देश को नाज़ है।
स्वप्ना का पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। इनकी माँ चाय बाग़ान में मज़दूरी करती हैं, वहीं पिता पंचम बर्मन रिक्शा चलाकर परिवार का गुज़ारा करते हैं।
स्वप्ना का पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। इनकी माँ चाय बाग़ान में मज़दूरी करती हैं, वहीं पिता पंचम बर्मन रिक्शा चलाकर परिवार का गुज़ारा करते हैं।
स्वप्ना की सफलता का श्रेय पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को जाता है। राहुल द्रविण की गो स्पोर्ट्स फ़ाउंडेशन ने इनके हुनर को पहचाना और इनकी मदद करनी शुरू कर दी। इसकी वजह से स्वप्ना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर पा रही हैं। सवपन जीत के बाद मिलने वाले इनाम की राशि से अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं।
स्वप्ना ने एथलेटिक्स में हेप्टाथलन में 2017 में पटियाला फ़ेडरेशन कप में गोल्ड मेडल जीता, इसके अलावा भुवनेश्वर में एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी इन्होंने गोल्ड मेडल जीता है।
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