19 साल की उम्र में शादी करने वाली जारिया ने हिला दी सरकार

जारिया पटनी ने महज 19 साल की उम्र में अपने से सात साल बड़े लड़के से शादी की थी. शादी के बाद उनकी जिंदगी जहन्नुम हो गई.बच्चे की कस्टडी के लिए उसे संघर्ष करना पड़ा और यहां तक कि जारिया ने इस लड़ाई के जरिये सरकार के पासपोर्ट संबंधी एक नियम को भी बदलवा दिया.

इसकी शुरुआत शादी के बाद हनीमून से हुई. वह जारिया को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करता था. उसे नहीं पसंद था कि जारिया उसकी मर्जी के बिना कुछ भी करे. जारिया को क्या खाना है, क्या पहनना है, किससे बात करनी है और किससे नहीं, ये सब वही तय करता था और बात न मानने पर जारिया के साथ गाली-गलौज और मारपीट भी करता था.


अत्याचारों का सिलसिला रहा जारी 

इसी बीच जारिया प्रेग्नेंट हो गईं, लेकिन फिर भी उन पर अत्याचारों का सिलसिला जारी रहा. वह जारिया दवाएं भी नहीं खाने देता था और एक दिन उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराने की नौबत आ गई. जब वे हॉस्पिटल पहुंचीं तो नर्स ने उनसे कहा कि आपकी हालत गंभीर है और इसलिए आपको इमर्जेंसी वॉर्ड में भर्ती करना पड़ेगा. नर्स ने यह भी कहा कि अगर आप एक दिन भी लेट करतीं, तो मुंबई आपकी लाश जाती.


नहीं मानी हार 

अस्पताल से लौटने के बाद जारिया ने फैसला किया कि अब बहुत हो गया. इस मामले को और बर्दाश्त नहीं करना है और तलाक की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. इस दौरान उसके पति ने लीगल नोटिस भी भेज दिया कि वह जारिया के पेट में पल रहे बच्चे को कस्टडी में रखना चाहता है. हालांकि, इसकी वजह से बच्चे की कस्टडी हासिल करने के लिए भी जारिया को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. मगर, जारिया ने हार नहीं मानी.

बच्चे के जन्म के 30 दिनों के अंदर उन्हें मुंबई की फैमिली कोर्ट में जाना पड़ा और छह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें मोहम्मद की कस्टडी मिली. आखिरकार 2012 में उन्हें इस प्रताड़ना से छुटकारा मिल गया. लेकिन उन्हें कोई गुजारा भत्ता नहीं मिला.


ब्रैंड्स के लिए करने लगीं फोटोशूट

इसके बाद जारिया ने अपने फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू किया. उनकी फैमिली लॉजिस्टिक्स के बिजनेस में है. उन्होंने साथ ही अपने फोटोग्राफी के पैशन को फिर से स्टार्ट किया. धीरे-धीरे वह बड़े बड़े नामों और ब्रैंड्स के लिए फोटोशूट करने लगीं. मगर, एक दिन मोहम्मद को वीजा के लिए पासपोर्ट की जरूरत पड़ी और नियमों के मुताबिक पासपोर्ट पर मुहम्मद के पिता के साइन होने जरूरी थे.


पासपोर्ट नियमों में हुआ बदलाव 

जारिया ने इसके लिए पासपोर्ट ऑफिस के कई चक्कर काटे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला दिया कि एक सिंगल मदर भी बच्चे की गार्जियन हो सकती है. आखिरकार मोहम्मद को पासपोर्ट मिल गया और पासपोर्ट नियमों में भी बदलाव हुआ. अब पासपोर्ट ऐप्लिकेशन में गार्जियन में माता-पिता में किसी एक नाम से भी पासपोर्ट बन सकता है. उनकी इस लड़ाई की पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तारीफ भी की.






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