धर्म के अनुसार एक ही गोत्र में शादी न करने के तथ्य को विज्ञान ने भी माना सही, बताया एक ही गोत्र में शादी करने से झेलनी पड़ सकती है मुसीबत

शादी-विवाह से जुड़ी हर देश एवं धर्म की अलग-अलग परम्परायें होती हैं। और हर व्यक्ति अपने धर्म से जुड़ी परम्पराओं का पालन भी करता है। हालांकि आज की पीढियां इन सब बातों को मन से मानने को तैयार नही होती है। और इसे रूढ़िवादिता का नाम देने लगी है। परन्तु आपको यह पता होना चाहिए कि सदियों से चले आ रहे इन परम्पराओं के पीछे कुछ न कुछ तथ्य भी छुपे होते थे। 

आज हम ऐसी ही एक नियम का वर्णन करने जा रहे हैं जो न केवल उचित है अपितु विज्ञान ने भी इस बात को स्वीकार किया है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हिन्दू धर्म मे विवाह से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताये हैं। उन्ही में से एक मान्यता है कि हिन्दू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति की शादी होती है तो शादी से पहले गोत्र और कुल का ख़ास ध्यान रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एक ही गोत्र में शादी करना पाप होता है। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को लोग आज भी मानते हैं। 
पर क्या आपको इस मान्यता के पीछे की वजह पता है कि आखिर क्यों इस मान्यता की शुरूआत हुई। नही ना, चलिये हम आपको बताते हैं-
●एक ही गोत्र में शादी ना करने के पीछे की मान्यता-
शास्त्रों के अनुसार ऋषि विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप और अगस्त्य ऋषि इन आठों ऋषियों से ही गोत्र सम्बंधित है। मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति भारद्वाज गोत्र का है तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के पूर्वज भारद्वाज ऋषि से सम्बंधित हैं। भारद्वाज ऋषि के संतानों से ही उनकी उत्पत्ति हुई थी।

इसी प्रकार अगर कोई विश्वामित्र गोत्र का है तो इसका मतलब उसके पूर्वज भी विश्वामित्र के ही वंशज थे। इसी वजह से वह इस गोत्र के अंतर्गत आते हैं। इन बातों का अर्थ यह हुआ कि यदि व्यक्ति एक ही गोत्र का हुआ तो उसका कुल, वंश सब एक ही होगा, और इससे यह अर्थ निकलता है कि कई पीढ़ियों पहले ही सही लेकिन दोनों व्यक्ति एक ही परिवार के रहे होंगे, और इसी वजह से एक ही गोत्र में शादी करना गलत माना जाता था। इसके अनुसार एक ही गोत्र में शादी करने पर लड़का-लड़की भाई-बहन हो सकते है।

●एक गोत्र में शादी न करने की बात को विज्ञान ने भी बताया सही-
विज्ञान के अनुसार एक ही कुल या गोत्र में शादी करने से बचना चाहिए। क्योंकि जो लोग एक ही कुल या गोत्र में शादी करते हैं उनके बच्चों को भविष्य आनुवंशिक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए बच्चों को आनुवंशिक दोषों से बचाने के लिए सेपरेशन ऑफ़ जींस बहुत ज़रूरी होता है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को विवाह, अपने गोत्र, अपनी मां के गोत्र एवं अपनी दादी के गोत्र को छोड़ कर करना चाहिए।

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